Yug Purush

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8TH SEMESTER ! भाग- 135( Eye for An Eye-4)

मुझे उसे अब छोड़ देना चाहिए था ,लेकिन मुझे अब मज़ा आने लगा था... मेरे खयाल से ये मेरे खून मे था की खून देखकर मुझे  बहुत सुकून मिलता था. मैने कई बार ऐसे ही उसके सर को लोहे की बॉल से फोड़ा और आख़िरी मे उसके फेस पर दे मारी...बॉल सीधे जाकर उसके नाक के नीचे लगी.एक बार फिर वही जानी पहचानी आवाज़ हुई और वही जाना पहचाना लाल रंग उसके मुँह और नाक से निकला.... उसका शायद ऊपर वाला होंठ फट गया था, बॉल लगने के कारण...

"वऊऊह्ह्ह्ह... Wow... अमेजिंग.. ..अब हॉस्पिटल मे महीनों तू भी उसी तरह सडेगा..जैसे मैं सड़ा था... तू भी अब इस सेमेस्टर का एग्जाम्स नही दे पाएगा,जैसे कि मैं नही दे पाया था...."नौशाद को बुरी तरह पीटने के बाद भी जब मेरी हसरत पूरी नही हुई तो मैने उसके सर के बाकी बचे बाल को पकड़ कर वही फर्श पर घसीटते हुए, उसका सिर मल,मूत्र वाले शीट पर रख कर.. उसका मुँह उसी मे रगड़ने लगा और बहुत देर तक रगड़ता रहा....

नौशाद को मारने के बाद  मैं वैसे ही मुँह ढक कर हॉस्टल से निकला और मेरे हॉस्टल से निकालते ही लड़को के कमरों के गेट भी खुले और स्पीकर्स भी बंद हुए... जिसके थोड़ी देर बाद नौशाद को बाथरूम मे लहू -लुहान देख हॉस्टल मे भयंकर शोर उठा... पर तब तक मै हॉस्टल से बहुत दूर निकाल आया था और वहा से सीधे हॉस्पिटल पहुचा,जहाँ अरुण मामला संभाले हुए था....

"आ गया... कहाँ मरा रहा था.. इतनी देर से.... तेरे चक्कर मे सिर से चादर ओढ़कर मुझे  अरमान बनना पड़ा... वैसे नर्स हॉट है.. जब चादर ओढ़कर मै सोने कि एक्टिंग कर रहा था तो हिला लिया नर्स को सोचकर...."मुझे देखते ही अरुण ने अपना दाँत दिखाया

"अच्छा किया..."

"तेरी शक्ल  को क्या हुआ.. कहा से मरा कर आ रहा है.."

"मरा कर नही.... मार कर आ रहा हूँ, वो भी नौशाद को और साइड चल...आराम करने दे... जंग जीत के आया हूँ "अपने फॉर्मल कपडे उतार कर हॉस्पिटल कि पेशेंट वाली ड्रेस वापस पहनकर मैने तीन-चार ग्लास पानी धड़ल्ले से पिया और बिस्तर पर हाथ -पैर पसार कर पस्त हो गया......

बिस्तर पर लेटे-लेटे अब मैं सोच रहा था की उस रंडी दीपिका.. Sorry, respect... R. दीपिका का क्या हाल होगा जब उसके कान मे नौशाद की ठुकाई की खबर पड़ेगी....साली जहाँ होगी वही मेरा नाम सुनकर मूत देगी, मल -मूत्र के द्वार बंद हो जाएंगे उसके... उसको तो ऐसा बेइज्जत करूँगा की... सात जन्म तक साली रखैल कहलाएगी...

एकतरफ मैं बिस्तर पर पस्त लम्बी -लम्बी साँसे लिए जा रहा था तो वही दूसरी तरफ मै नौशाद को ठोक कर आ रहा हूँ,ये सुनकर अरुण का दिमाग़ भी पस्त हो रहा था, उसने हॉस्टल कॉल भी किया और जब उसे हॉस्टल से खबर मिली तो वो इस समय हद से ज़्यादा शॉक्ड था...

"मैने सोचा था कि,तेरा सिगरेट,दारू पीने का मन हो रहा होगा और तू ये सब हॉस्पिटल के अंदर पी नही सकता इसलिए मुझे यहाँ की रखवाली सौंप कर बाहर चला गया है...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि तू मुझे बकचोद बनाकर लड़ने गया था...."गुस्सा होते हुए अरुण बोला

" तुझे बकचोद क्या बनाना... वो तो तू आलरेडी है,भाई....  वैसे भी, मैने यदि तुझे बताया होता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ तो तू यक़ीनन मुझे नही जाने देता... इसलिए ये करना पड़ा... क्या है की.. धर्म को जीताने के लिए कभी -कभी अधर्म का सहारा लेना पड़ता है ... और साले तू खुश नही है क्या..."

"खुश...?? धोखेबाजो से नफरत है मुझे....."

उसके बाद अरुण वहाँ एक पल भी नही रुका और मुझे बुरा-भला बोलकर वहाँ से चला गया.... मेरा वो काम हो चुका था,जो मैं हॉस्पिटल मे रहकर करना चाहता था,इसलिए मैं अब जल्द से जल्द यहाँ से निकलने के फिराक़ मे था, इसलिए जब शाम को सोते वक़्त एक नर्स राउंड पर आई तो मैने तुरंत लाइट जला दी....

"आप सोए नही अभी तक...सर "

"तू भी तो नही सोई है अभी तक जानेमन...आ जा साथ मे सोते है...."ऐसा मैं बोलना चाहता था...लेकिन बोल नही पाया

"लाइट बंद करो और सो जाओ..."मेरी तरफ आते हुए नर्स ने कहा और मेरे बिस्तर के सिरहाने के पास जो डेस्क रखी हुई थी,उसके उपर ये देखने लगी कि मैने दवाई ले ली है या नही....

"मैं यहाँ से अपने हॉस्टल  कब जाउन्गा, मैम... I have some unfinished business.."

"बदला लेना है तुम्हे,उनसे.. जिन्होंने तुम्हारे साथ ये किया है...??"

"Well, well... तुम्हे कैसे पता..?? तुम कही Raw की एजेंट तो नहीं ... "

"Ha ha ha... तुम्हे, तुम्हारे दोस्तों के साथ बात करते हुए सुना था कि.. तुम यहाँ से जाने के बाद उनसे बदला लोगे.. जिन्होंने तुम्हे यहाँ पहुंचाया है.. पर एक बात याद रखना... बदला, किसी भी चीज का हाल नहीं होता... "

" yeah..?? फिर मुझे क्या करना चाहिए...?? माफ़ कर दू उन्हें..?? वो साले, मुझे जान से मारने के विचार मे थे.. "

"कानून का शहर लो.."

"जिसने मेरा ये हाल किया है ना... कानून उसके सामने दम तोड़ देगा..."

"तो संघर्ष करो..."

"पहली बात... मुझे सलाह नहीं, सहयोग चाहिए..."

"सहयोग...?? कैसा सहयोग..."

"सेक्स करोगी मेरे साथ...?? "

" bastard... "तिलमिला कर वहा से जाते हुए वो बोली...

"Thank you very much for your kind words..." उस नर्स को गुस्से मे जाता देख, हसते हुए मैने कहा.. जिससे वो और तिलमिला उठी...  जिसके बाद मै और जोर से हसने लगा...

मेरी हंसी उसका पारा हाई कर रही थी.. वो वहा से तो चली गई पर तुरंत ही टाइल्स पर अपने पैर पटकते हुए वापस मेरे पास आई...

"तुम्हे तमीज नहीं है लड़कियों से बात करने कि... बद्तमीज इंसान.. तू अब जब तक यहाँ एडमिट रहेगा.. मै तेरा जीना हराम कर दूंगी..."

"यदि मेरे मे जान जाओगी ना .. मेरा मतलब.. सही से जान जाओगी तो अभी जो कहा है ना.. वो कहने से पहले सौ बार सोचती आप.. खैर... छोड़िये, बीती बातो को... और ये बताइये की मै और कब तक यहाँ रहूँगा.. "

"जब ढंग से चलने लगोगे तब..."वो नर्स थोड़ा तेज आवाज़ मे बोली

"चल तो मैं कब से रहा हूँ, अब बोलो तो दौड़ कर दिखाऊ..."नर्स को वही अपने पास बैठने का इशारा करते हुए मैं बोला...

"अभी कुछ  करने की ज़रूरत नही है, अभी फिलहाल सो जाओ...कल सुबह डॉक्टर से बात करना.. क्यूंकि मुझसे बात करने के तो तुम लायक़ ही नहीं हो ..."खड़े-खड़े ही उस नर्स ने मुझसे कहा...

"ओके आंटी "

ये सुनकर रूम से बाहर जाते उसके कदम जहाँ थे वही रुक गये. मैने फटाक से बल्ब ऑफ किया और चादर तानकर लेट गया....
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यदि मेरी याददाश्त सही है ,जो कि हमेशा ही सही रहती है,तो जिस दिन मैने नौशाद को मारा था उसके चार दिन बाद हॉस्पिटल से मुझे डिसचार्ज कर दिया गया और मैं खुशी-खुशी हॉस्टल  पहुचा... हॉस्टल  मे मेरा स्वागत बड़े जोरो-शॉरो से हुआ.. मानो कोई योद्धा आ रहा हो.. जिस दिन मैं हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर हॉस्टल  पहुचा था...उस दिन... मेरा मतलब रात को हॉस्टल  मे बहुत बड़ा केक काटा गया था... हॉस्टल  के लौन्डे मुझे देखकर ऐसे खुश हो रहे थे ,जैसे अपने जीते -जी उन्होंने मेरे रूप मे स्वयं नारायण के दर्शन कर लिए हो और मरने के बाद सीधे बैकुंठ धाम जाएंगे... साले,पापी.. सब नरक कि भट्टी मे जलेंगे और जब आधी रात को पार्टी ख़तम हुई तो मेरे करीबी मुझे एक-एक करके ये बताने लगे की पिछले 3 महीनो मे हॉस्टल  मे क्या-क्या हुआ है... कुछ  मुझे ये बता रहे थे की हॉस्टल  के हर कमरे मे नये पंखे लगे है और खिड़किया सुधारवा दी गयी है तो कुछ  मुझे ये बता रहे थे कि कैसे फलाना लौन्डे ने अपने बर्थडे के दिन उन्हे भरपेट दारू पिलाई थी... तो वही कुछ ये भी बता रहे थे की.. कौन सी लड़की, हाल ही के दिनों मे किस लड़के से ठुकी है.. कहा ठुकी है.. कितनी देर ठुकी है. हम कॉलेज के लड़को को सब जानकारी रहती है... फिर लड़किया चाहे कितना भी प्राइवेट रख ले... हम लड़को का बहुत तगड़ा सीक्रेट नेटवर्क रहता है इस मामले मे... कभी -कभी तो पोजीशन तक मालूम कर लेते है.😁
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"यदि मेरा अनुमान सही है तो ये रूम नौशाद का ही है ना..."अपने रूम की तरफ जाते हुए जब मैं नौशाद के रूम के पास पहुँचा तो वहाँ रुक कर हॉस्टल  के लड़को से पुछा"इसके रूम मे ताला क्यूँ लगा है...?"

"अरे अरमान भैया.... पाप का फल तो एक दिन भुगतना ही पड़ता है. फिर वो चाहे वो नर हो या नारायण.... नौशाद को पता नही किसने मारकर हॉस्टल के बाथरूम मे फेक दिया था...किस्मत थी साले की जो बच गया "राजश्री पांडे जो मेरे पीछे खड़ा था वो आगे आते हुए बोला"उसके बाद से नौशाद के रूम पार्ट्नर्स की फट  गयी और उन्होने हॉस्टल  छोड़ दिया...उन सबका कहना है कि हॉस्टल  के लड़को ने मिलकर नौशाद को मारा था और नौशाद को आपके बुरे सपने अब भी आ रहे है.. वो आपका नाम ले रहा था.  Ha ha ha.. जबकि  आप तो हॉस्पिटल मे थे..."

"सब साले गे है,"बोलते हुए मैं अपने रूम की तरफ बढ़ गया,जहाँ अमर सर,पहले से मौज़ूद थे....मुझे इतने सारे लौन्डो के साथ देखकर उन्होने मुझे इशारा किया कि वो मुझसे अकेले मे बात करना चाहते है...

"ठीक है भाई लोग...अब आप सभी यहाँ से खिसकिये और जिस लड़की को भी ठोकने का दिल करता है, उसे अपने ख्वाबो मे ठोक कर, हिलाइये ...गुड नाइट,स्वीट ड्रीम...लव यू ऑल..."

उनके जाने के बाद मैं अमर भाई की तरफ घूमा....

"Hiii, sir..."अपना हाथ अमर सर कि तरफ करके मैने कहा

"एक बुरी खबर है...या फिर कहे तो दो बुरी खबर है..."

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